प्रश्न 1. मनुष्य बार-बार नाखूनों को क्यों काटता है ? [2020A, B. M. 2018, 2015A, M. Q. Set-II : 2015)
उत्तर- मनुष्य निरंतर सभ्य होने के लिए प्रयासरत रहा है। प्रारंभिक काल में मानव एवं पशु एकसमान थे । नाखून अस्त्र थे। लेकिन जैसे-जैसे मानवीय विकास की धारा अग्रसर होती गई मनुष्य पशु से भिन्न होता गया। उसके अस्त्र-शस्त्र, आहार-विहार, सभ्यता-संस्कृति में निरंतर नवीनता आती गयी। वह पुरानी जीवन-शैली को परिवर्तित करता गया । जो नाखून अस्त्र थे उसे अब सौंदर्य का रूप देने लगा। इसमें नयापन लाने, इसे सँवारने एवं पशु से भिन्न दिखने हेतु नाखूनों को मनुष्य काट
देता है।
प्रश्न 2 . नाखून क्यों बढ़ते हैं ? यह प्रश्न लेखक के आगे कैसे उपस्थित [2019A,
उत्तर- नाखून क्यों बढ़ते हैं ? यह प्रश्न एक दिन लेखक की छोटी लड़की ने उनसे पूछ दिया । उस दिन से यह प्रश्न लेखक के सोचने का विषय बन गया
प्रश्न 3 . लेखक के अनुसार सफलता और चरितार्थता क्या है? [2018
उत्तर – सफलता और चरितार्थता में लेखक ने अंतर होने की बात बताया है। किसी भी प्रकार से बल, छल या बुद्धि से सफल हो जाना सफलता है लेकिन प्रेम, मैत्री, त्याग एवं जनकल्याण का भाव रखते हुए जीवन में आगे बढ़ना
चरितार्थता है।
प्रश्न 4 . लेखक द्वारा नाखूनों को अस्त्र के रूप में देखना कहाँ तक संगत है ? 12016A, 2013A,TBQI
उत्तर- कुछ लाख वर्षों पहले मनुष्य जब जंगली था, उसे नाखून की जरूरत थी। वनमानुष के समान मनुष्य के लिए नाखून अस्त्र था क्योंकि आत्मरक्षा एवं भोजन हेतु नख की महत्ता अधिक थी। उन दिनों प्रतिद्वंदियों को पछाड़ने के लिए नाखून आवश्यक था। असल में वही उसके अस्त्र थे। उस समय उसके पास लोहे या कारतूस वाले अस्त्र नहीं थे, इसलिए नाखून को अस्त्र कहा जाना उपयुक्त है, तर्कसंगत है।
प्रश्न 4 . बढ़ते नाखूनों द्वारा प्रकृति मनुष्य को क्या याद दिलाती है ? [M.Q. Set-I: 2016, 2015C, M.O. Set-1 : 2015, TBQI
उत्तर- प्राचीन काल में मनुष्य जंगली था। वह वनमानुष की तरह था। उस समय वह अपने नाखून की सहायता से जीवन की रक्षा करता था। आज नखधर मनुष्य अत्याधुनिक हथियार पर भरोसा करके आगे की ओर चल पड़ा
है नाखून अब भी बढ़ रहे हैं । बढ़ते नाखूनों द्वारा प्रकृति मनुष्य को याद दिलाती है कि तुम भीतर वाले अस्त्र से अब भी वंचित नहीं हो। तुम्हारे नाखून को नहीं जा सकता । तुम वही प्राचीनतम नख एवं दंत पर आश्रित रहने वाला जीव हो । पशु की समानता तुममें अब भी विद्यमान है।
प्रश्न 5 . ‘स्वाधीनता’ शब्द की सार्थकता लेखक क्या बताता है? /2013C
उत्तर- लेखक कहते हैं कि स्वाधीनता शब्द का अर्थ है अपने ही अधीन रहना । क्योंकि यहाँ के लोगों ने अपनी आजादी के जितने भी नामकरण किये उनमें हैं
स्वतंत्रता, स्वराज, स्वाधीनता। उनमें स्व का बंधन अवश्य है।